देहरादून: राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश कार्यालय में गत दिवस आपस में पदाधिकारी का कार्यकर्ता में भिड़ंत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि जब प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र पन्त ने 26 मार्च को प्रदेश कार्यालय में जैसे ही अशोक को संगठन महासचिव घोषित किया। उसके बाद ही राजेंद्रपन्त और अशोक चौधरी का बहिष्कार शुरू हो गया। आपको बताते चलें कि पिछले 20 फ़रवरी को रिस्पना पुल के पास एक निजी होटल में चल रहे कार्यकारिणी विस्तार कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष द्वारा जैसे ही विस्तार कार्यकारणी घोषित हुई उसके बाद दल के पदाधिकारियों ने अपनी नाखुशी रा० संगठन महासचिव त्रिलोक त्यागी के सामने जाहिर की।
सूत्रों के अनुसार रालोद के पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष की कार्य प्रणाली से बिल्कुल भी खुश नहीं है उनका कहना है कि राजेंद्र पंत को अभी राजनीति और संगठन चलाने का अनुभव नहीं है और वह संगठन को बढ़ाने की बजाय आपस में विवाद और फूट डालने का काम कर रहे हैं। जिनमें उसके सबसे बड़े सहयोगी के रूप में अशोक चौधरी भी शामिल है और यही वजह है कि अशोक चौधरी को संगठन महासचिव बनाया गया है। प्राप्त खबर के अनुसार प्रदेश महासचिव उदयवीर चहल के साथ पूर्व व वर्तमान कार्यकर्ता व पदाधिकारीयों ने प्रदेश अध्यक्ष का खुल कर बहिष्कार किया और राजेंद्र पंत की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
पार्टी सूत्रों ने यह भी बताया बताया कि एक महिला ने भी पन्त की करीबी पदाधिकारी पर उसके साथ अनैतिक कार्य करने के लिए भी दबाव बनाने का काम किया। जिस बारे मे प्रदेश अध्यक्ष से सवाल किया तो वो बगलें झाकनें लगा।
राष्ट्रीय लोकदल की छवि पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह से जुड़ी हुई है साथ ही चौधरी चरण सिंह के नाम से पार्टी का आधार भी है।रालोद से जुड़े पुराने कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष की कार्यशैली रालोद के विचार और नीतियों से परे है ये बड़ी वजह है कि लगातार राजेंद्र पन्त का बहिष्कार बढ़ रहा है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आने वाले 2027 में क्या राष्ट्रीय लोकदल उत्तराखंड को कोई विकल्प दे पाएगी। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व को इस बारे में अति शीघ्र कोई ना कोई विचार करना चाहिए अन्यथा यह सर फुटव्वल रालोद का हाल आम आदमी पार्टी और कोंग्रेस जैसा ना कर दे।