1. शाही जामा मस्जिद विवाद: यूपी सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद विवाद पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यह विवाद तब सामने आया जब मस्जिद के पास स्थित एक निजी कुएं की खुदाई की जा रही थी। मस्जिद कमेटी ने इस खुदाई के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें मांग की गई थी कि जिलाधिकारी को निर्देश दिया जाए कि यथास्थिति बरकरार रखी जाए। मस्जिद कमेटी का यह कहना था कि कुएं की खुदाई से मस्जिद की संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और यह धार्मिक स्थल की पवित्रता को भी प्रभावित कर सकता है।
2. कुएं की पूजा पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुएं की पूजा पर भी रोक लगा दी है। मस्जिद कमेटी ने दावा किया कि उक्त कुआं मस्जिद के पास स्थित होने के कारण उसकी पूजा करने की कोशिश की जा रही थी। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर कुएं की पूजा पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है। इससे पहले, कुछ स्थानीय लोग इस कुएं की पूजा करने का प्रयास कर रहे थे, जिसके बाद मस्जिद कमेटी ने इस मामले को अदालत में उठाया।
3. मस्जिद कमेटी का विरोध: यथास्थिति बनाए रखने की मांग
मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया कि कुएं की खुदाई से मस्जिद की संरचना को नुकसान हो सकता है और इससे मस्जिद की धार्मिक गतिविधियों पर भी असर पड़ सकता है। मस्जिद कमेटी ने जिलाधिकारी से यह मांग की थी कि यथास्थिति बनाए रखी जाए और कुएं की खुदाई पर रोक लगाई जाए। कमेटी का कहना था कि कुएं का संबंध मस्जिद से है और इसे धार्मिक स्थल के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए।
4. अदालत की सुनवाई और भविष्य की दिशा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है और आगे की सुनवाई के लिए एक तारीख तय की है। अदालत ने दोनों पक्षों के विचारों को ध्यान में रखते हुए मामले की पूरी जांच करने का आश्वासन दिया है। इस फैसले से मस्जिद कमेटी को एक बड़ी राहत मिली है, क्योंकि उसे उम्मीद है कि अदालत उनके पक्ष में फैसला सुनाएगी और मस्जिद की पवित्रता और संरचना को सुरक्षित रखा जाएगा।
निष्कर्ष:
यह मामला धार्मिक स्थलों की पवित्रता और संरचना को लेकर एक महत्वपूर्ण विवाद बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों पक्षों के हितों का संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगा। मस्जिद कमेटी के लिए यह एक राहत की बात है, जबकि प्रशासन को अब अदालत के आदेशों का पालन करना होगा। इस विवाद के समाधान के लिए अदालत की पूरी सुनवाई और निष्पक्ष निर्णय की जरूरत होगी