देह: स्पेशल मजिस्ट्रेट सीबीआई संदीप भंडारी की कोर्ट ने प्रोफेसर को अवैध हिरासत में रखने, मारपीट सहित अन्य धाराओं में सजा का फैसला सुनाया। रानीपुर के विधायक आदेश कुमार चौहान उनकी भतीजी दीपिका चौहान को छह छह माह क सजा सुनाई। वहीं, पुलिस विभाग से सीओ पद से रिटायर व तत्कालीन गंगनहर थाने में तैनात इंस्पेक्टर आरके चमोली (कुछ समय पहले देहांत हो गया), इंस्पेक्टर राजेन्द्र सिंह रौतेला (अब रिटायर्ड) और दिनेश कुमार को एक-एक साल की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की थी।
शिकायतकर्ता धीर सिंह चौहान सहारनपुर जीआईसी से प्रवक्ता के पद से रिटायर्ड और राजकीय शिक्षक संघ यूपी के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे मनीष की शादी आदेश चौहान की भतीजी दीपिका से हुई थी। दीपिका और मनीष के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा था। दीपिका ने हरिद्वार गंगनहर थाने में साल 2009 में शिकायत की थी। आदेश चौहान उस समय भाजपा में जिला उपाध्यक्ष थे। धीर सिंह चौहान का कहना है कि 11 जुलाई 2009 को उनको थाने बुलाया गया। दो दिन तक अवैध हिरासत में रखा और मारपीट की गई। 13 जुलाई 2009 में मुकदमा दर्ज कर उनको, उनकी पत्नी शकुंतला चौहान, बेटी मनीष चौहान और विवाहित बेटी पूनम चौहान को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। बताया कि आदेश चौहान के कहने पर गंगनहर थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर आरके चमोली ने दो दिन तक अवैध हिरासत में रख कर उत्पीड़न किया। इस दौरान बहू दीपिका के नाम पर पांच लाख, मकान और खेती की जमीन की मांग की गई। बताया कि उनको, उनकी पत्नी और बेटी को एक रात जेल में बितानी पड़ी और अगले दिन बेल हो गई। लेकिन, बेटी मनीष को करीब दस दिन बाद जमानत मिली। इसके बाद लोकायुक्त से लेकर हाईकोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ने के करीब 16 साल बाद सोमवार को सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई और उनको इंसाफ मिला।
–कई बार लगाई गई एफआर, लड़ते रहे इंसाफ की लड़ाई-
सीबीआई कोर्ट से फैसला आने के बाद धीर सिंह चौहान ने बीती 16 साल में लड़ी कानूनी लड़ाई को याद किया। उन्होंने बताया कि पुलिस के खिलाफ उन्होंने लोकायुक्त में शिकायत की। लोकायुक्त ने हरिद्वार एसएसपी से आख्या मांगी। तत्कालीन सीओ कमलेश उपाध्याय से जांच कराई। सीओ ने शिकायत निराधार बताते हुए असत्य बता दी। इसके बाद उन्होंने लोकायुक्त के समक्ष कहा कि पुलिस ने सही रिपोर्ट नहीं दी। पुलिस की जांच पुलिस से ही करना ठीक नहीं था। इस पर लोकायुक्त ने एसआईटी गठित की। इस बार इंस्पेक्टर की जांच करने के लिए सब इंस्पेक्टर को जिम्मेदारी दी गई। इस पर भी सवाल उठे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीओ स्तर के अधिकारी को जांच दी गई। इस मामले की पहले सीओ मंगलौर, फिर सीओ लक्सर और इसके बाद सीओ डानवाला ने जांच करने के बाद एफआर लगा दी गई। अभी भी इंसाफ की लड़ाई को नहीं छोड़ा।
–हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश —
इस पूरे प्रकरण के बाद धीर सिंह चौहान दोबारा हाईकोर्ट पहुंचे और सीबीआई जांच की मांग की गई। इस बार हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। इसके बाद ही सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की और आखिरकार धीर सिंह चौहान को इंसाफ मिल सका।