फर्जी मैसेज भेजकर कंप्यूटर को वायरस से नुकसान का दिखाया जाता है डर
अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों को अंजाम देने वाला देहरादून से गिरफ्तार
खासकर अमेरिकन सिटीजन को बनाया जाता था निशान
मल्टीनेशनल कंपनियों का सर्विस प्रोवाईडर बनकर धोखाधड़ी की जाती है।
देहरादून: भारत से नेटवर्क संचालित कर विदेशियों से धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम देने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को उत्तराखंड एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। फर्जी मैसेज भेजकर कंप्यूटर को वायरस से नुकसान होने का डर दिखाकर सर्विस के नाम पर पैसा वसूला जाता था। खासकर अमेरिकन को निशाना बनाने वाला गिरोह खुद को मल्टीनेशनल कंपनियों का सर्विस प्रोवाइडर बताकर धोखाधड़ी करता था।
एसटीएफ के मुताबिक रायपुर थाना क्षेत्र के आईटी पार्क के पासए बिल्डर के नाम से चल रहे ऑफिस में एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए आरोपी अर्जुन सिंह (28) पुत्र नरेन्द्र सिंह निवासी भारापुर, भौरी, थाना बहादराबाद हरिद्वार को गिरफ्तार किया है। दिलीप कुमार थुपेला निवासी चंद्रबनी की तलाश की जा रही है। बताया कि अर्जुन का एक साथी निपुन गन्धोक निवासी भोपाल अमेरिका में रह रहा था और टेक्सास के एक कॉलेज में पढ़ता था। विदेशियों से खुद को माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी से सम्बन्धित बताकर वर्चुअल नम्बर के जरिए सम्पर्क करता था। कम्पयूटर से वायरस हटाने की बात कहकर धोखाधड़ी की जाती थी। जो पैसा निपुन के पास आता था उसमें से अर्जुन का हिस्सा विदेश से भेजा जाता था। अमेरिका की पुलिस ने निपुन गन्धोक को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अर्जुन ने अन्य साथियों के साथ मिलकर इसी काम को करना शुरू कर दिया। अर्जुन के साथी उसको अमेरिकन विदेशी कस्टमर के नम्बर भेजते है। अर्जुन अपने लैपटाप में सॉफ्टवेयर के जरिए डील करता है। एचपी, डैल, कैनन, लैक्समार्क के टेकशियन के नाम से सर्विस प्रोवाइडर के रूप में पैसे हासिल करता है। कलकत्ता में रहने वाला साथी गेटवे से कस्टमर से पैसा लेता है। 1300 रुपये प्रति कस्टमर के कॉल प्रोवाइडर के रूप में साथियों में से उस साथी को जाता है जिसने अर्जुन को उस कस्टमर का कॉल फारवर्ड किया है।
चार करोड़ के ट्रांजेक्शन की जानकारी
चार बैंक खातों की जानकारी मिली। एक खाते में 9.5 लाख दूसरे में 4.5 लाख तीसरे में 2.5 लाख रुपए हैं। एक अन्य खाते में बीते एक साल में 3.50 करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ है। 52 लाख की जमीन में निवेश और 20 लाख के फ्लैट का भी पता चला है। अन्य साथियों के 10 से 12 बैंक खाते हैं।
बयान-
वर्चुअल नंबर्स से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा था। विदेश से डॉलर में पैमेंट, अवैध धन से प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट के अलावा करोड़ो रूपये के बैंक ट्रांसक्शन्स का पता चला है। रैकेट के भारत से संचालन और बैंक एकाउंट डिटेल्स, प्रोपेर्टी इन्वेस्टमेंट और महत्वपूर्ण सूचनाओ को इंटरनेशनल एजेंसीज व एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से साझा किया जा रहा है।अजय सिंह, एसएसपी एसटीएफ।