क्रिकेट के मैदान पर हर युग में एक महान खिलाड़ी होता है, जिसे खेल का ‘किंग’ कहा जाता है। 2010 के दशक में विराट कोहली को यह दर्जा मिला, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या बाबर आज़म इस जगह को ले सकते हैं? आइए इस पर गहराई से विचार करें।
क्या बाबर की निरंतरता विराट जैसी है?
निरंतरता किसी भी महान खिलाड़ी की पहचान होती है। विराट कोहली ने सालों तक लगातार रन बनाए और भारत को कई मैच जिताए। बाबर आज़म भी प्रतिभाशाली हैं, लेकिन क्या वह इस निरंतरता को बनाए रख पाएंगे? अभी तक के आंकड़ों को देखें तो बाबर ने कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन विराट जितनी निरंतरता उनमें नहीं दिखी है।
वनडे क्रिकेट में तुलना
विराट कोहली ने 299 वनडे में 58.20 की औसत से 14085 रन बनाए हैं, जिसमें 51 शतक शामिल हैं। वहीं, बाबर आज़म ने 128 वनडे में 55.50 की औसत से 6106 रन बनाए हैं। हालांकि, बाबर का औसत अच्छा है, लेकिन विराट ने कठिन परिस्थितियों में रन बनाकर खुद को बार-बार साबित किया है।
कप्तानी का दबाव
बाबर आज़म को बहुत ही कम उम्र में पाकिस्तान का कप्तान बना दिया गया, जिससे उनकी बल्लेबाजी पर दबाव पड़ा। इसके विपरीत, विराट कोहली को कप्तानी तब मिली जब वह पूरी तरह से परिपक्व हो चुके थे। यही कारण है कि विराट कप्तानी के बावजूद शानदार प्रदर्शन करते रहे।
क्या बाबर दबाव में बेहतर खेलते हैं?
बड़े खिलाड़ी वही होते हैं, जो दबाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। विराट कोहली की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह दबाव में और बेहतर खेलते हैं। बाबर ने अभी तक बड़े मैचों में अपनी छाप नहीं छोड़ी है। वर्ल्ड कप, एशिया कप और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंटों में उनका प्रदर्शन औसत रहा है।
पाकिस्तान के दिग्गजों की राय
पाकिस्तान के कई पूर्व खिलाड़ी मानते हैं कि विराट कोहली की तुलना में बाबर आज़म को अभी लंबा सफर तय करना होगा। शोएब अख्तर और मोहम्मद हफीज भी मानते हैं कि विराट का मानसिक दृढ़ता और खेल को लेकर दृष्टिकोण बाबर से कहीं आगे है।
बाबर आज़म एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और उनके पास विराट कोहली जितना महान बनने की क्षमता है। हालांकि, इसके लिए उन्हें बड़े मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा और अपनी बल्लेबाजी में और अधिक परिपक्वता लानी होगी। अगर वह ऐसा कर पाते हैं, तो निश्चित रूप से वह क्रिकेट के नए ‘किंग’ बन सकते हैं।