उत्तराखंड/देहरादून : बेटियों को बाहर घूमने से मना करा तो नाबालिक बेटियों ने पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर जेल भेज दिया। ये सब बेटियों ने अपने दो दोस्तों के कहने पर किया। आरोप लगने के बाद पिता को पुलिस ने जेल भेज दिया था। साढ़े चार साल बाद कोर्ट में बेकसूर साबित हुआ तो कोर्ट ने बारी करने आई आदेश दिए।
दरअसल, किशाेरी ने अपने मित्र के साथ मिलकर यह साजिश रची और नारी निकेतन में शिकायत दी। नारी निकेतन की ओर से वसंत विहार थाने को मुकदमे के आदेश जारी किए। पुलिस ने इस मामले में किशोरी के पिता के विरुद्ध दुष्कर्म के पोक्सो के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। तब से वह जेल में ही बंद है। करीब साढ़े चार चले इस केस में अब न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) अर्चना सागर की अदालत ने पिता को दोषमुक्त कर दिया है।
वसंत विहार क्षेत्र की रहने वाली एक किशाेरी ने शिकायत दी थी कि वह कक्षा नौ में पढ़ती है। उसकी माता तीन साल पहले किसी व्यक्ति के साथ चली गई। वह चार भाई-बहन हैं। वह अपनी दादी व बुआ के साथ घर में रहती है। 29 मार्च 2019 की रात वह अलग सो रही थी। उसके पिता वहां आए और मुंह दबाने के बाद छेड़छाड़ शुरू कर दी। आरोप लगाया कि उसके पिता ने उसके साथ बदतमीजी की। घटना की सूचना उसने अपनी छोटी बहन को बताई, जोकि उसे चाइल्ड हेल्पलाइन ले गई, जहां चाइल्ड हेल्प लाइन ने घटना की रिपोर्ट पुलिस को दी। 25 दिसंबर 2019 को किशोरी ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।
पुलिस ने 27 दिसंबर 2019 को आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मेडिकल में पीड़ित की सभी रिपोर्ट निगेटिव आई और बयानों में विरोधाभास सामने आया। पीड़ित की बुआ और दादी ने भी घटना से इंकार कर दिया। ट्रायल के दौरान पीड़ित ने बताया कि उसके पिता उसे इधर-उधर घूमने से डांटते थे। दो युवक किशोरी व उसकी छोटी बहन के दोस्त थे। उसके पिता ने उसे डांटा तो युवकों के कहने पर ही उनसे अपने पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़ित ने बताया कि वह व उसकी छोटी बहन नारी निकेतन में रह रही हैं।
कोर्ट ने माना कि पीड़ित के बयान विश्वसनीय नहीं हैं। यदि पीड़ित के साथ इस तरह की घटना हुई थी तो उसकी छोटी बहन नारी निकेतन में क्यों रह रही थी। इससे स्पष्ट होता है कि दोनों बहनें युवकों के प्रभाव में थी। पीड़ित की ओर से लगाए दुष्कर्म के आरोप विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते हैं। वहीं मेडिकल परीक्षण में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। कोर्ट ने आरोपी को सभी आरोपों से दोषमुक्त करते हुए जेल अधीक्षक को निर्देशित किया कि यदि आरोपित के खिलाफ किसी अन्य मामले में वांछित ना हो तो उसे अविलंब रिहा किया जाए।