आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के कार्यों की समीक्षा
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग नोडल ऑफिसर, प्रभारी और उपनिरीक्षकों के साथ बैठक
देहरादून : शिकायतें मिली है कि बाहरी प्रदेशों के कुछ लोगों राज्य के कुछ क्षेत्रों से लड़कियों को उनके परिजनों को प्रलोभन देकर विवाह के लिए ले जाते है। जिसमें उनके शोषण होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करने और किसी भी युवती महिला का शोषण ना हो, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए आईजी गढ़वाल ने विशेष फोकस किया है। इसके लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम की कार्यों की समीक्षा कर मजबूती से कार्य करने के निर्देश दिए गए। कार्यों की समीक्षा और आपसी समन्वय, संकलित डाटाबेस तैयार किये जाने के लिए एएचटीयू का गठन किया गया।
आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने शनिवार को रेंज के सातों जनपदों में व्यवस्थापित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के कार्यों की समीक्षा की। रेंज कार्यालय देहरादून में जनपदों के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग नोडल ऑफिसर, प्रभारी और उपनिरीक्षकों के साथ बैठक की गई। बताया कि रेंज के जनपदों में इस प्रकार की शिकायतें भी प्राप्त होती है कि बाहरी प्रदेशों के लोगों के द्वारा कुछ क्षेत्रों से लड़कियों व उनके परिजनों को प्रलोभन देकर विवाह के लिये ले जाया जाता है। जिसमें उनके शोषण होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करने को कहा गया है। साथ ही सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी युवती महिला का शोषण ना हो। कहा गया है कि आपदा में अनाथ हुए बच्चों का डाटाबेस तैयार किया जाये । जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर बच्चों की पूरी देखभाल व अन्य मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराएं। शिकायतें मिलती है कि भिक्षावृत्ति में लिप्त लोग नाबालिग बच्चों को अपने साथ रखकर उन्हें अपना पुत्र-पुत्री बताकर भिक्षावृत्ति करवाते हैं। इसके लिए निर्देशित किया गया कि वह समय-समय पर भिक्षावृत्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों को चिन्हित कर इसमें सम्मिलित व्यक्तियों और उनके पास बच्चों के विवरण का तैयार करें। किसी भी नाबालिग बच्चे का शोषण न हो। जनपदों में व्यवस्थापित बाल आश्रय गृहों का सम्बन्धित विभाग जैसे समाज कल्याण विभाग आदि के साथ समन्वय स्थापित कर समय-समय पर भ्रमण करेंगें।
ये भी दिए गए निर्देश-
– बच्चों से बातचीत कर उनकी समस्याओं के निराकरण
– 13 वर्ष से कम बच्चों की गुमशुदगी की जांच पंजीकरण के तत्काल बाद एएचटीयू के सुपुर्द
– एसओपी में दिये गये निर्देशों के अनुरूप शत्-प्रतिशत कार्यवाही अमल में लायी जाये।
– 05 वर्षों के गुमशुदगी बरामदगी की समीक्षा की गई।
– बीते 03 वर्षों में गुमशुदा हुए बालक/बालिकाओं जिनकी बरामदगी नहीं हुई है की भी क्रमवार समीक्षा
– एएचटीयू के पास बरामदगी के लिए शेष गुमशुदाओं के मोबाइल, अन्तिम लोकेशन से सम्बन्धित डिटेल होनी चाहिए। -बरामद होने वाले लावारिस शवों की भी सूचना का अभिलेक तैयार करेंगे।
– मानव तस्करी में संलिप्त अभियुक्तों का डाटाबेस तैयार किया जाए।
– सीमावर्ती प्रदेशों से भी मानव तस्करी में संलिप्त व्यक्तियों की सूची मांगकर डाटाबेस में शामिल की जाये।


