बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच तीखी बयानबाजी ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। राहुल गांधी ने हाल ही में एक बयान दिया कि अगर मायावती लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के साथ गठबंधन करतीं, तो भाजपा को हराया जा सकता था। इस बयान के जवाब में मायावती ने कांग्रेस को भाजपा की ‘बी टीम’ करार दिया और कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमजोर रणनीति के कारण भाजपा सत्ता में आई।
कांग्रेस और बसपा के बीच बढ़ती दूरी
राहुल गांधी ने अपने रायबरेली दौरे के दौरान कहा कि बसपा को कांग्रेस के साथ आकर भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहिए था, लेकिन मायावती ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि बसपा का कांग्रेस के साथ न आना भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने जैसा था।
इसके जवाब में मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर तीखा पलटवार करते हुए लिखा, “कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में भाजपा की ‘बी टीम’ बनकर मुकाबला किया, जिससे भाजपा की जीत तय हुई। अगर कांग्रेस ने सही रणनीति अपनाई होती तो उनकी यह हालत नहीं होती कि उनके अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाती।”
राहुल गांधी पर मायावती का पलटवार
मायावती ने कांग्रेस नेतृत्व को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पहले उन्हें अपनी गलतियों को देखना चाहिए, फिर दूसरों पर सवाल उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए बसपा पर उंगली उठा रही है, जबकि सच यह है कि उनकी कमजोर नीतियों के चलते ही भाजपा को लगातार फायदा मिल रहा है।”
बसपा प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी पूरी तरह से स्वतंत्र है और किसी भी राजनीतिक दल के दबाव में आकर फैसले नहीं लेती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बसपा के वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश में लगे रहते हैं, लेकिन बसपा अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेगी।
दिल्ली में नई सरकार के सामने चुनौतियां
मायावती ने दिल्ली में नई भाजपा सरकार पर भी टिप्पणी की और कहा कि अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने चुनावी वादों को पूरा करने की है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भाजपा सरकार ने जनता से किए गए वादों को समय पर पूरा नहीं किया, तो उसे भी कांग्रेस की तरह करारी हार का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक समीकरणों पर प्रभाव
राहुल गांधी और मायावती के बीच यह बयानबाजी विपक्षी दलों के गठबंधन की संभावनाओं को जटिल बना रही है। जहां कांग्रेस भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए छोटे दलों से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है, वहीं बसपा अपनी अलग पहचान बनाए रखना चाहती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली की राजनीति में यह टकराव आगामी चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस और बसपा के बीच कोई नया समीकरण उभरता है या यह राजनीतिक तनातनी जारी रहती है।