नकली दवाईयां बनाकर लोगों की जान से खिलवाड़
देहरादून, उत्तराखंड /मरीजों की जान से किस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस बात का खुलासा नकली दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्री के पकड़े जाने के बाद हुआ। खुलासा हुआ है कि दिल्ली की फॉर्मा कंपनी के नाम से नकली दवाईयां बना कर देश के अलग अलग राज्यों में सप्लाई करने के काले कारोबार का दून पुलिस ने खुलासा किया है। नकली दवाईयां बनाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जान से खिलवाड़ करने का पूरा खेल हरिद्वार रूड़की के मकदूमपुर गांव में चल रहा था। मौके से 29 लाख से ज्यादा की नकली दवाईयां बरामद हुई। इस धंधे से करोड़ों की संपत्तियां जुटाई जा चुकी है।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि सचिन शर्मा निवासी अशोका दिल्ली रोड़ मंगलौर रुड़की हरिद्वार और विकास निवासी मुजफ्फरनगर यूपी हाल पता सहस्त्रधारा रोड़ को गिरफ्तार किया गया। विक्रम रावत निवासी अशोक विहार गुडगांव डिप्टी मैनेजर जगसनपाल फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने शिकायत दी। बताया सचिन शर्मा प्रोपराईटर एसएस मेडिकोज अमन विहार देहरादून अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर उनकी कम्पनी के नाम से नकली और मिलावटी दवाइयां बेच रहे है। रायपुर थाना पुलिस, एसओजी की टीम ने कार्रवाई शुरू की। साक्ष्य के आधार पर सचिन शर्मा और उसके पार्टनर विकास कुमार को धर्मकांटा रायपुर के पास से रेंज रोवर गाड़ी के साथ गिरफ्तार किया गया। कार में रखी इन्डोकेप और इन्डोकेप एसआर दवाईयों के 7200 कैप्सूल नकली दवाईयां बरामद हुई।
सचिन ने पूछताछ में बताया कि मकदूमपुर गांव पर उनकी फर्जी फैक्ट्री है। गोदावरी रूड़की स्थित फ्लैट में नकली दवाईयां और सामाग्री रखी हुई है। मूल दवाई की कम्पनी के नाम से अलग अलग राज्यों में नकली दवाईयां सप्लाई करते है। फैक्ट्री और फ्लैट में छापा मारकर भारी मात्रा में नकली दवाईयां, उपकरण, कच्चा माल व अन्य सामाग्री बरामद की गयी। फैक्ट्री को सील किया गया ।
सचिन लैबोरेट्री में रह चुका है सुपरवाइजर
सचिन स्टेफफोर्ड लैबोरेट्री लिमिटेड भगवानपुर में सुपरवाईजर था। जहां दवाईयां बनती है। विकास जगसन पाल फार्मास्युटिकल कम्पनी में हरिद्वार में मार्केटिंग का काम करता था। कोरोना में नौकरी छूट गयी। इसके बाद नकली दवाईयां तैयार कर मार्केट में बेच कर मोटी कमाई की गई। दिसम्बर 2022 से एसएस मेडिकोज नाम से फर्म खोली। नकली दवाईयां बनानी शुरू की ।
करोड़ों की संपत्ति की अर्जित-
एक हफ्ते में दवाई के 10 पेटी करीब 200 डिब्बे तैयार कर लेते है। जिन्हे बेचकर करोड़ो रुपये का लाभ और कई सम्पत्तियां अर्जित की। रेंज रोवर कार, 35 लाख का प्लॉट, 12 लाख की किआ सोनेट कार, उषा एन्क्लेव में 50 लाख का मकान, मकदूनपुर में फैक्ट्री के लिए चार बीघा जमीन ली है।
दवाईयों के रैपर दिल्ली में होते है तैयार-
दवाईयों के लिए रैपर दिल्ली और भगवानपुर में एक व्यक्ति को प्रिंट करने के लिए देते है। 800 रुपये किलो के हिसाब से रैपर प्रिंट करता है। कूटरचित बिल लैपटॉप पर एडिट करके तैयार किये गये है। मौके से इंडोकैप 7,50,000 कैप्सूल, नीले प्लास्टिक के 07 डिब्बों में रखे कुल 9,01,000 कैप्सूल, काली रंग की 11 प्लास्टिक की पन्नी में रखे 12,82,600 कैप्सूल, बैंकों की 24 चैक बुक, रैपर 3000, खाली कैप्सूल एक लाख, दवाई बनाने के लिए 50 किलो कच्चा माल के अलावा बड़े पैमाने पर पैकिंग का सामान रैंज रोवर कार, नकली दवाईयां बनाने के उपकरण, नकली दवाईयां बनाने की मशीनें।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि
पूछताछ में पता चला कि कच्चा माल रोलेक्स फार्मा बाम्बे की एक कम्पनी से खरीदा गया। फार्मा स्यूटिकल्स कम्पनी और अन्य कम्पनी की दवाईयां को उनके कम्पोजिशन के आधार पर कुछ कम मात्रा में भरकर नकली दवाईयां बनायी जाती है। जिसे एसएस मेडिकोज नाम की फर्म से सेल करते है। ड्रग लाईसेन्स लेकर ऑफिस देहरादून में सहस्त्रधारा रोड़ में खोला। नकली दवाईयों को दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता सहित अन्य शहरों में सप्लाई करते है। कड़ी से कड़ी जोड़ कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।