राजनीतिक हलकों में इन दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच जारी बयानबाजी चर्चा का विषय बनी हुई है। राहुल गांधी ने रायबरेली दौरे के दौरान कहा कि अगर मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया होता, तो भाजपा को हराया जा सकता था। इस पर मायावती ने करारा जवाब देते हुए कांग्रेस को भाजपा की ‘बी टीम’ बताया और कहा कि कांग्रेस की नीतियों के कारण ही भाजपा को फायदा मिला।
कांग्रेस पर मायावती का हमला
मायावती ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह की रणनीति अपनाई, उससे भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिला। उन्होंने कहा, “कांग्रेस नेतृत्व को चाहिए कि वह अपनी गलतियों को सुधारने पर ध्यान दे, न कि दूसरों पर आरोप लगाए। अगर कांग्रेस की रणनीति सही होती, तो आज उनकी इतनी खराब हालत नहीं होती।”
राहुल गांधी ने कहा था कि मायावती के कांग्रेस के साथ न आने से विपक्ष कमजोर हुआ, जिससे भाजपा को जीतने का मौका मिला। मायावती ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कांग्रेस की असफल नीतियों के कारण ही भाजपा को बार-बार सत्ता में आने का मौका मिल रहा है। ऐसे में उन्हें दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय अपनी स्थिति सुधारनी चाहिए।”
बसपा की राजनीतिक स्वतंत्रता
मायावती ने साफ किया कि बसपा हमेशा अपनी नीतियों के आधार पर चुनाव लड़ती है और किसी भी दल के दबाव में नहीं आती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही बसपा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी अपने विचारों से समझौता नहीं करेगी।
भाजपा को दी चेतावनी
मायावती ने भाजपा को भी निशाने पर लिया और कहा कि अगर भाजपा सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया, तो उसका हश्र भी कांग्रेस जैसा ही होगा। उन्होंने कहा, “जनता ने भाजपा को जनहित और विकास कार्यों के वादे के आधार पर वोट दिया है। अगर वे इसे पूरा नहीं करते, तो आगे चलकर जनता उन्हें सत्ता से बाहर कर देगी।”
राजनीतिक भविष्य की संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और बसपा के बीच यह खींचतान विपक्षी दलों के गठबंधन को कमजोर कर सकती है। कांग्रेस जहां विपक्ष को मजबूत करने की कोशिश में है, वहीं बसपा अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान को बनाए रखना चाहती है।
आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा और कांग्रेस की राहें अलग-अलग बनी रहती हैं या दोनों दल भाजपा के खिलाफ किसी नए गठबंधन की संभावना तलाशते हैं। फिलहाल, दोनों दलों के बीच की यह राजनीतिक तनातनी भारतीय राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है।