उत्तराखंड/देहरादून :-उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया सहित 6 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। जांच कर रही एसटीएफ ने मंगलवार को 6 लोगों के खिलाफ 4500 पेज की चार्जशीट विजिलेंस कोर्ट में दाखिल की है। इस मामले में कुल 12 लोगों को जेल भेजा गया था। जिसमें से 9 के खिलाफ चार्जशीट हो चुकी है। हाकम सहित तीन के खिलाफ जल्द कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होगी।
एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि साल 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) की परीक्षा हुई थी। धांधली उजागर होने के बाद मामला विजिलेंस को सौंपा गया था। साल 2020 में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद जांच स्पेशल टास्क फोर्स को सौंपी गई। मामले में साक्ष्य जुटाने के बाद गिरफ्तारियां हुई। बताया कि ग्राम विकास पंचायत अधिकारी परीक्षा में धांधली के आरोप में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के तत्कालीन अध्यक्ष डा. आरबीएस रावत, तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार कर बीती 8 अक्तूबर को जेल भेजा गया था।
हाकम सहित तीन के खिलाफ जल्द दाखिल होगी चार्जशीट
पूर्व भाजपा नेता और जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह की अलग अलग परीक्षाओं में भूमिका उजागर हुई। ग्राम विकास पंचायत अधिकारी परीक्षा धांधली मामले में भी उसके खिलाफ रिमांड लिया गया। बताया कि इस परीक्षा धांधली में पूर्व में तीन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अब मंगलवार को पूर्व अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक सहित 6 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। इस चार्जशीट में लखनऊ आरएमएस कंपनी के डायरेक्टर राजेश चौहान, संजीव चौहान और विपिन बिहारी के नाम भी शामिल है। बताया का हामक सिंह, चंदन मनराल व केंद्रपाल के खिलाफ जल्द चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

मंगलवार को एसटीएफ ने जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें सबसे महत्वपूर्ण फोरेंसिक जांच रिपोर्ट है। आरोप है कि कुछ अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए परीक्षा की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ हुई। इस बात की पुष्टि फोरेंसिक जांच में होने के बाद ही गिरफ्तारियां भी हुई थी।
आरोप है कि तत्कालीन अधिकारियों ने वीपीडीओ परीक्षा की ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की। परीक्षा का परिणाम सचिव के घर पर तैयार किया गया। यह परीक्षा कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल के आखिरी दिनों में हुई थी। धांधली उजागर होने के बाद साल 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने यह परीक्षा रद्द कर दी। वर्ष 2019 में खुली जांच के आदेश हुए। विजिलेंस ने साल 2020 में मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद साल 2022 में यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तर की परीक्षा में धांधली की बात सामने आई तो अन्य परीक्षा धांधलियों का मामला भी गर्माया। इसके बाद वीपीडीओ परीक्षा धांधली की जांच भी एसटीएफ को सौंपी थी।