प्रस्तावना
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को प्रदेश के विकास और समरसता के लिए ऐतिहासिक बताया।
बैठक के मुख्य बिंदु
देहरादून में आयोजित इस अहम कैबिनेट बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन यूसीसी का प्रस्ताव केंद्र बिंदु रहा। नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला राज्य में समानता और न्याय को बढ़ावा देगा।
यूसीसी का प्रभाव
समान नागरिक संहिता लागू होने से राज्य में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान कानून लागू होंगे। इससे राज्य की विविधता में एकता की भावना मजबूत होगी। मुख्यमंत्री धामी ने इसे प्रदेश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
विरोध और समर्थन
इस फैसले पर जहां राज्य के कुछ हिस्सों में स्वागत किया गया है, वहीं कुछ राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह निर्णय बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के लिया गया है।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
प्रदेश के नागरिकों के बीच इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे प्रदेश की प्रगति की दिशा में सकारात्मक कदम मानते हैं, तो कुछ इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार देते हैं। हालांकि, अधिकांश लोगों का मानना है कि इससे राज्य में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा मिलेगा।
भविष्य की रणनीति
उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी लागू करने से पहले व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। इसके तहत लोगों को बताया जाएगा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी के लिए समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करना है।
यूसीसी की नियमावली को मंजूरी देना उत्तराखंड सरकार का एक साहसिक और दूरदर्शी कदम है। इससे न केवल राज्य में सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है। हालांकि, इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार को सभी समुदायों के विचारों और चिंताओं को ध्यान में रखना होगा